Monday, September 10, 2007

हे सडक देवता हमारी रक्षा करना!

अगर मंगलवार के दिन आप आगरा की सडकों पर घूमने निकलें तो महिलाओं को सडक पर पूजा करते देख आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए। दरअसल, ताज नगरी आगरा में सडकों की पूजा की प्रवृत्ति इन दिनों जोर पकड रही है। लोग यात्रा पर निकलने से पहले सडक हादसे से बचने के लिए कुमकुम, पेडा, चंदन, फूल आदि से सडक की पूजा करते हैं।

सडक पर जुटने वाली महिलाएं सडक देवता से अपने संबंधियों की प्राण रक्षा की प्रार्थना करती हैं। ये महिलाएं अपने संबंधियों सडक हादसे से बचने के लिए सडक की पूजा करती हैं। उन्हें विश्वास है कि इससे सडकों पर उनके परिजनों व उनकी रक्षा होगी। खासकर कुछ हालिया सडक हादसों के बाद यहां सडक की पूजा की प्रवृत्ति अधिक जोर पकडने लगी है। ग्वालियर रोड के नजदीक रहने वाली सरोज का कहना है कि हर रोज मंगलवार की सुबह उनकी जैसी कुछ महिलाएं इस हाईवे पर आती हैं और सडक को धोकर वहां फूल, चंदन आदि से पूजा करती हैं। सडक की एक छोटी पट्टी को पवित्र जल से धोने के बाद वहां स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है और सडक देवता को कुमकुम, पेडा, चंदन, फूल आदि से पूजा जाता है। यहां जुटने वाली महिलाएं सडक देवता से अपने संबंधियों की प्राण की रक्षा की प्रार्थना करती हैं।

ऐसा नहीं है कि ग्वालियर रोड पर ही ऐसा नजारा देखा जाता है। शहर के नहराइच, रतनपुरा और यहां तक कि कमला नगर जैसी पॉश कॉलोनियों में भी महिलाओं को सडक की पूजा करते देखा जाता है। यहां तक कि हाईवे के किनारे स्थित गांव के लोग भी सडक पूजा में आस्था रखने लगे हैं। यहां के हिन्दू पुजारियों का कहना है कि अगर यातायात पुलिस लोगों की सुरक्षा के लिए पुख्ता कदम नहीं उठा सकती है तो हम भगवान से प्रार्थना क्यों न करें। पुलिस के मुताबिक ताजमहल की नगरी आगरा में रोजाना कम से कम एक सडक हादसा जरूर होता है जिनमें से ५० फीसदी हादसे भुक्तभोगी के लिए जानलेवा साबित होते हैं। १९८५ में जहां आगरा में महज ४० हजार वाहन हुआ करते थे, आज उनकी संख्या बढकर ४ लाख हो गयी है। एक गृहिणी पुष्पा झा को हर मंगलवार को सडक की पूजा करते देखा जा सकता है। उसका कहना है कि अगर ऐसा करने से मेरे पति की रक्षा होती है तो मैं ऐसा क्यों न करूं?

लोग यात्रा पर निकलते समय कई अन्य तरह के टोटके भी करते हैं। यदि कोई व्यक्ति यात्रा पर निकल रहा हो और बिल्ली रास्ता काट जाए या खाली बाल्टी या बरतन दिख जाए तो वह कुछ देर के लिए वापस आ जाता है। घर में उसे कुछ पानी पीने को दिया जाता है तथा माथे पर राख का टीका लगवा कर पुन: यात्रा पर निकलता है।

3 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत ही जबर्दस्त आइडिया है । मै् तो चली सड़क पूजा को ।
घुघूती बासूती

Shastri JC Philip said...

गजब का सटीक व्यंग कि या संजीव !!

आज पहली बार आपके चिट्ठे पर आया एवं आपकी रचनाओं का अस्वादन किया. आप स्पष्ट एवं सशक्त लिखते हैं -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

Udan Tashtari said...

अजब सी बात है मगर आस्था और विश्वास के आगे तो कुछ भी कहना बेमानी है.

अच्छी खबर लाये.