Tuesday, September 4, 2007

जहां आसान नहीं है कब्रिस्तान में जगह पाना


जहां लोग रहने के लिए एक आशियाने की व्यवस्था करने में लंबे अरसे तक भाग-दौड करते रहते हैं वही उनकी मौत के बाद उनके दफन के लिए जमीन का छोटा टुकडा भी बडी मुश्किल से नसीब हो पाता है। यह हाल है रूस में कब्रिस्तानों का। रूसी शहरों में मुर्दों के लिए जमीन ढूंढना जिंदा इंसान के लिए घर की व्यवस्था करने से कहीं अधिक महंगा हो गया है। यहां तक कि दूरदराज के कब्रिस्तानों में मॉस्को वासियों को अपने परिजनों को दफनाने पर अमूमन ६ लाख रूबल यानी २३,४०० डॉलर खर्च करना पडता है जो एक औसत मॉस्कोवासी की पूरी साल की कमाई के बराबर है।

आम लोगों की बात तो दूर, जब इस साल बसंत ऋतु के दौरान मॉस्को के एक कब्रिस्तान में पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन और संगीतकार मिस्टिस्लाव रोस्ट्रोपोविच के पार्थिव अवशेषों को दफन करने की बारी आई तो इन दोनों महान हस्तियों को भी यहां जमीन मयस्सर नहीं हुई। मॉस्को में कब्रिस्तानों में जमीन की भारी किल्लत से परेशान होकर कई लोग अपने परिजनों के शवों को दफन के बजाय अब जलाने लगे हैं। मीडिया की खबरों के अनुसार कई कब्रिस्तानों में दफन की रस्म में १००,००० से ४००,००० रूबल के बीच खर्च होता है जिसमें दिनोंदिन भारी बढोत्तरी हो रही है।

रूस के प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि नोवोदेविची या क्रेमलिन के पास स्थित कब्रिस्तानों में महान हस्तियों के पार्थिव शरीर को भी दफनाने के लिए जमीन ढूंढना आसान काम नहीं है। आम लोगों की बात ही अलग है। दूसरे प्रमुख रूसी शहरों में कब्रिस्तानों में अपने परिजनों के लिए एक टुकडा जमीन ढूंढना लोगों के लिए टेढी खीर बनता जा रहा है। यही वजह है कि इन शहरों में मुर्दों को दफनाना इतना अधिक महंगा हो ग्या है।

कब्रिस्तानों पर बढते दबाव को देखते हुए मॉस्को नगर प्रशासन ने लोगों को लाशों की अंत्येष्टि के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया है। अखबारों में इन दिनों बडे बडे विज्ञापन छपते हैं और लोगों को लाशों को चिता के हवाले कर अस्थि कलश को जमीन में दफन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। वही दूसरी ओर इससे चर्च को ईसाइयत पर खतरा मंडराने का भी डर सताने लगा है। रसियन ऑर्थोडक्स चर्च ने मृतक ईसाइयों की अस्थियां कलश में रख कर दफन किए जाने के नए चलन को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। ऑर्थोडक्स चर्च ने इसे ईसाई-विरोधी रस्म करार दिया है।

एक आकलन के मुताबिक रूस में लाशों को जलाने का चलन अब जोर पकडने लगा है। यूरोपीय संघ के देश जर्मनी में तो करीब ५० फीसदी शवों को जलाया जाने लगा है। दफन रस्म विभाग के प्रमुख अधिकारी कहते हैं कि मॉस्को में किसी मुर्दे को मात्र आठ वर्ष या इससे कुछ अधिक समय तक के लिए ही कब्र नसीब हो सकती है। करीब ७० कब्रिस्तान तो मुर्दो से पहले ही भर चुके हैं। इनमें एक भी शव दफनाने के लिए जगह नहीं बची है। मॉस्को में ४ शवदाह केंद्र बन चुके हैं। इनकी संख्या बढाए जाने की योजना है।

3 comments:

Udan Tashtari said...

हम्म!! चलो, यह जानकारी और बढ़ी. आभार.

सफ़र said...

बढ़िया बात....अच्छी लगी

सफ़र said...

बढ़िया बात....अच्छी लगी
गिरीन्द्र