शनिवार का दिन था। शाम के ७.४५ बज रहे थे। लोग शहर के मशहूर गोकुल चाट भंडार में स्वादिष्ट चाट भंडार का लुत्फ उठा रहे थे। लोगों को यह जरा भी आभास नहीं था कि वे दोबारा चाट का स्वाद चखने के लिए जिंदा रह पाएंगे। कुछ ही क्षण बाद यह खुशी मातम में तब्दील हो गयी और कइयों के सपने अधूरे रह गए।
गौरतलब है कि २५ अगस्त की शाम को राजधानी हैदराबाद के प्रसिद्घ गोकुल चाट भंडार एवं मौज-मस्ती के लिए प्रसिद्घ लुंबिनी पार्क में बम धमाके हुए जिनमें लगभग ४२ लोगों की मौत हो गयी एवं ५० से अधिक इसमें घायल हो गए। लुंबिनी पार्क में स्थानीय पर्यटकों के अलावा अन्य राज्यों से भी बडी संख्या में पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। शनिवार को भी मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र से आए कुछ पर्यटकों के अलावा स्थानीय पर्यटक यहां मौजूद थे। शहर के दिल कहे जाने वाले हुसैनसागर झील के किनारे स्थित इस पार्क में हुए विस्फोट में १० लोगों की मौत हो गयी है एवं कई अन्य घायल हुए हैं। इसी तरह गोकुल चाट भंडार में चाट का मजा ले रहे लोगों की खुशियां क्षण भर में मातम में बदल गयीं। यहां हुए विस्फोट में करीब ३२ लोग मारे गए एवं दर्जनों घायल हो गए। इनमें कई प्रेमी युगल भी शामिल थे।
दहशतगर्द चाहे जिस धर्म या कौम के हों, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि कोई भी धर्म इस कदर विवेकहीन व पागलपनपूर्ण रक्तपात की इजाजत नहीं देता। जाहिर है ऐसे में इंसान का खून बहा कर वे सबसे बडा अपराध ईश्वर के प्रति कर रहे हैं। इस बम हादसे के शिकार बने लोगों की आत्मा को शांति तो मिल जाएगी, लेकिन आतंकवादियों को शांति इसलिए नसीब नहीं होगी क्योंकि वे आत्मा खो चुके हैं। जाहिर है ऐसी आतंकवादी करतूतों की कडी निंदा की जानी चाहिए। विस्फोटों में मारे गए लोगों के परिजनों को इस दुखद वक्त में www.aawaj.blogspot.com की ओर से सांत्वना . . . .
Monday, August 27, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment